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भारत का आर्थिक विकास और स्थिति (1967-1972): महँगाई, प्रति व्यक्ति आय, और बेरोजगारी
1967 से 1972 का दौर भारत के लिए आर्थिक चुनौतियों से भरा रहा। इस अवधि में खाद्य संकट, 1971 का युद्ध, और तेल संकट जैसी घटनाओं ने देश की महँगाई, प्रति व्यक्ति आय और बेरोजगारी को प्रभावित किया।
1. महँगाई दर (Inflation Rate)
- 1967-69: सूखे और खाद्य उत्पादन में गिरावट से महँगाई बढ़ी।
- 1971 का युद्ध और 1973 का तेल संकट महँगाई में उछाल का कारण बने।
- 1972-73: Wholesale Price Index (WPI) के अनुसार महँगाई ~10% तक पहुँच गई।
2. प्रति व्यक्ति आय (Per Capita Income)
- 1960 के दशक में भारत की GDP वृद्धि दर लगभग 3-4% रही, जो जनसंख्या वृद्धि (~2.2%) के साथ धीमी रही।
- 1971 में प्रति व्यक्ति आय लगभग ₹1,100 (~$110) थी, जो बहुत कम मानी जाती है।
3. बेरोजगारी (Unemployment)
- 1960-70 के दशक में बेरोजगारी दर लगभग 9-10% रही।
- कृषि पर अत्यधिक निर्भरता और औद्योगिक विकास की धीमी गति ने रोजगार सृजन को बाधित किया।
- 1971 की जनगणना के अनुसार, 1.5 करोड़ से अधिक लोग बेरोजगार थे।
निष्कर्ष (Conclusion)
इस अवधि में भारत आर्थिक संकट, युद्ध, और संसाधनों की कमी से जूझ रहा था। हरित क्रांति (Green Revolution) ने कृषि क्षेत्र में सुधार किया, लेकिन महँगाई और बेरोजगारी प्रमुख समस्याएँ बनी रहीं।
मुख्य बिंदु:
✅ महँगाई (~10% in 1972-73)
✅ प्रति व्यक्ति आय (~₹1,100 in 1971)
✅ बेरोजगारी दर (~9-10%)
✅ 1971 का युद्ध और 1973 का तेल संकट प्रभावशाली रहे
यह दौर भारत के आर्थिक इतिहास का एक कठिन समय था, जिसने आगे की नीतियों को प्रभावित किया।